संजीव चोपड़ा और नारायण मूर्ति विवाद
नारायण मूर्ति का सुझाव
नारायण मूर्ति ने हाल ही में सुझाव दिया कि भारत को अपने सिविल सेवा भर्ती सिस्टम में बदलाव करना चाहिए। उनका मानना है कि वर्तमान UPSC प्रणाली, जो सिविल सेवकों की भर्ती करती है, एक प्रशासनिक दृष्टिकोण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सेवाओं को अब प्रबंधन दृष्टिकोण की ओर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि IAS और IPS अधिकारियों की भर्ती बिजनेस स्कूलों से की जाए। उनका तर्क है कि इससे अधिक गतिशील और परिणाम-उन्मुख प्रशासन मिलेगा, जो भारत को 2047 तक $50 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा।
जीव चोपड़ा का जवाबपूर्व IAS अधिकारी ''संजीव चोपड़ा(Sanjeev Chopra IAS)'' ने मूर्ति के इस सुझाव का विरोध किया। उनका कहना है कि सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया का उद्देश्य केवल प्रबंधन कौशल विकसित करना नहीं है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को लाकर प्रशासन में विविधता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि UPSC प्रणाली ने कई योग्य और सक्षम अधिकारियों का निर्माण किया है जिन्होंने देश की नीतियों और प्रशासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रबंधन बनाम प्रशासन:
मूर्ति ने कहा कि प्रबंधन दृष्टिकोण तेज निर्णय लेने, नवाचार और परिणाम आधारित प्रशासन पर जोर देता है। वहीं, चोपड़ा(IAS Deepak Chopra) का मानना है,जो केवल प्रबंधन से नहीं आ सकती। वहीं, चोपड़ा का मानना है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण में दीर्घकालिक योजना और जमीनी हकीकत को समझने की क्षमता शामिल है, जो केवल प्रबंधन से नहीं आ सकती।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
यह मुद्दा बहस जिसषषज्ञ और आम जनता दोनों ही विसभाजित ही विभाजित हैं कुछ लोग मूर्ति के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं, जबकि अन्य UPSC प्रणाली को भारत की प्रशासनिक संरचना के लिए अपरिहार्य मानते हैं।
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